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दा स्ट्रगल लाइफ... (The Struggle Life...)
प्यास लगी थी गजब की;
मगर पानी में जहर था,
पीता तो मर जाता;
ना पीता तो भी मर जाता।

यही दो मसले;
जिंदगी भर ना हल हुए,
ना नींद पूरी हुई;
ना ख्वाब मुकम्मल हुए।

वक्त ने कहा;
काश थोड़ा और सब्र होता,
सब्र ने कहा;
काश थोड़ा और वक्त होता।

सुबह-सुबह उठना पड़ता है;
कमाने के लिए साहेब,
आराम कमाने निकलता हूं;
आराम छोड़कर।

हुनर सड़कों पर तमाशा
करता रहता है,
और किस्मत महलों में
राज करती है।

शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे
ए जिन्दगी; पर चुप हूं,
इसलिए के जो दिया तूने;
वो बहुतों को नसीब नहीं होता।

दौलत की भूख ऐसी लगी;
के कमाने निकल गए,
जब दौलत मिली; तो हाथ से
रिश्ते निकल गए।

बच्चों के साथ रहने कि
फुर्सत ना मिल सकी,
फुर्सत मिली तो;
बच्चे कमाने निकाल गए।

One of my Fav. Poems!! 🙂