उफ़ ये कैसा समा है जानेमन
उफ़ ये कैसा समा है जानेमन
न तुम हो न ही चाँद जानेमन
बे-वक़्त बे-वज़ह आया करो
सीखो कुछ चाँद से जानेमन
हर रोज़ आने से थकता...
न तुम हो न ही चाँद जानेमन
बे-वक़्त बे-वज़ह आया करो
सीखो कुछ चाँद से जानेमन
हर रोज़ आने से थकता...