...

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चांद से बातें
हे चांद तूने मुझे सदा है लुभाया।
तुझमें हमने एक साथी है पाया।।

उमर के हर पड़ाव में तूने एक अलग किरदार निभाया।
हर किरदार तेरे में... हमने सुकून है पाया।।

बचपन में नानी की कहानियां सुनता था तू संग मेरे।
अपने काल्पनिक विचार सांझे करती थी में संग तेरे।।
लगता था तू जैसे मेरा परम मित्र।
बनाती थी हरदम में तेरा चित्र।।

बड़े हुए तो जब भी कभी अकेलेपन ने सताया।
तनहा रात के उस अंधेरे में तुझे अपना साथी पाया।।
तब लगता था तू मुझे कोई मेरा दीवाना।
अच्छा लगता था तुझे अपनी सारी बातें बताना।।

अब तो तेरा मेरा रिश्ता जैसे लगता है बहुत सच्चा।
बादलों से जब तू झांकता है, लगता है तू मेरा मासूम बच्चा।।

उमर के हर पड़ाव में तूने मुझे संभाला।
बिन बोले ही मेरी बातों को सुन, जाने कितनी मुश्किलों से निकाला।।

पता है चांद तेरी क्या खासियत है???
मित्र बनाता सब को ना पूछे किसे से ...उसकी का हैसियत है।।
दुनिया में कुछ दबे जज्बातों को यदि किसी से कहो, तो हर कोई अपनी सलाह है देता।
तू ही तो है जो चुप चाप हमारी हर अच्छी बुरी बात आसानी से है सुन लेता।।

इसी लिए अमावस की रात मुझे ना भाए।
क्यूंकि उस दिन मेरा मित्र मुझे नजर ना आए।।

दुनिया छोड़ चुके लोगों को सब सितारों में है पाते।
मेरे बिछड़ चुके ख़ास के चेहरे, मुझे तुझमें है नजर आते।।

कभी मेरे पापा तुझमें से मेरा हौंसला बढ़ाते है।
तो कभी मेरी नानी तुझमें से मुझे कहानियां सुनाते है।
तो कभी तुझमें से ही मेरा बिछड़ा हुआ बेटा, मुझसे खेल खेलता है।
तेरा हर एक रूप मुझे तेरी आघोश में ले लेता है।।

हे चांद निकल जाती है मेरी खामोश रातें।
कर के तेरे संग अपने दिल की बातें।।


© Vasudha Uttam