हे जन्म दात्री
यह कविता मेरे प्रथम काव्य संग्रह 'अनछुई पंखुड़ियाँ'से ली गई है जिसका शीर्षक है
नित सहकर जीवन संघर्ष
सुरभित करती हो अन्तर्मन
सारे कष्टों का कर देती निराकरण
मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
बड़े हो कर तुम सम्भल जाओ
अपना निर्णय खुद ले पाओ।
न देती तब भी कोई दखल
मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
हे जन्म दात्री...
नित सहकर जीवन संघर्ष
सुरभित करती हो अन्तर्मन
सारे कष्टों का कर देती निराकरण
मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
हे जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
बड़े हो कर तुम सम्भल जाओ
अपना निर्णय खुद ले पाओ।
न देती तब भी कोई दखल
मेरी जन्म दात्री तुझे मेरा नमन
हे जन्म दात्री...