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हिंदी ग़ज़ल ( एक छोटी सी कोशिश)
आखिरी आरज़ू
(1.2.1.2. 2.2.1.2 2.1.2.2 2.1.2.1)

ख्वाहिशों के शहर में, घूमता मन बेलगाम
दिल को समझाया मगर छूटा नहीं हाथों से जाम

इश्क है अनमोल ये बस, बात है बातों का क्या
हमने जिसपे दिल लुटाया,बिक गया कौड़ी के दाम

सबको खबर दिल धोखा देगा, इश्क के बाज़ार में
सब की कहानी अलग है पर हैं सभी दिल के गुलाम

थी बेवफा बेशक वो लेकिन, इश्क मेरा पाक था
जिस को दिया था दिल कभी, उसको कहूं कैसे हराम

आरज़ू अब कुछ नहीं बस मुस्कुराती वो रहे
जोकर चला जाएगा इकदिन, छोड़कर सब उसके नाम

🤡
© Dr. Joker