ग़ज़ल
बस अपने काम का तू तरीक़ा बदल के देख
मंज़िल भी मिल ही जाएगी रस्ता बदल के देख
यूँ कूद जाना ट्रेन से तो हल नहीं है दोस्त
सीटें बदल के देख ले डब्बा बदल के...
मंज़िल भी मिल ही जाएगी रस्ता बदल के देख
यूँ कूद जाना ट्रेन से तो हल नहीं है दोस्त
सीटें बदल के देख ले डब्बा बदल के...