स्वीकार
#स्वीकार
अगर-मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहाँ जुड़ते हैं रिश्ते?
कुछ तो मन में पिघला होगा,
दिल का दरवाज़ा खुला होगा।
यूँ ही नहीं कोई समर्पण करता,
कुछ तो अंतर में झुका होगा।
शब्द बिन भी जो कहा सुना,
दिल ने दिल से कुछ...
अगर-मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहाँ जुड़ते हैं रिश्ते?
कुछ तो मन में पिघला होगा,
दिल का दरवाज़ा खुला होगा।
यूँ ही नहीं कोई समर्पण करता,
कुछ तो अंतर में झुका होगा।
शब्द बिन भी जो कहा सुना,
दिल ने दिल से कुछ...