बग़ावत
#दूर
दूर #फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन #बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
#वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल ए आंगन में #रक्स कर रहा कोई
दिल ए #महबूब में उतरना नहीं आसां
उसके लहज़े में खुद को ढालना नहीं आसां
शामिल हूँ उसके ख़्यालों में हाले दिल न जानूँ
#संगदिल को #मोम बनाना नहीं आसां
जिंदगी के पल फक़्त कट रहे हैं यूं ही
ख़्वाब दर ख़्वाब मिरे टूट रहे हैं यूं ही
सोच रही हूं कर लूं #बग़ावत ख़ुद से
मान लूं उसे #मुहब्बत है मुझसे यूं ही
© anamika
दूर #फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन #बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
#वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
दिल ए आंगन में #रक्स कर रहा कोई
दिल ए #महबूब में उतरना नहीं आसां
उसके लहज़े में खुद को ढालना नहीं आसां
शामिल हूँ उसके ख़्यालों में हाले दिल न जानूँ
#संगदिल को #मोम बनाना नहीं आसां
जिंदगी के पल फक़्त कट रहे हैं यूं ही
ख़्वाब दर ख़्वाब मिरे टूट रहे हैं यूं ही
सोच रही हूं कर लूं #बग़ावत ख़ुद से
मान लूं उसे #मुहब्बत है मुझसे यूं ही
© anamika