...

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अधूरी सी ख्वाहिश
दूर जाकर भी क्यों तुम इतने पास हो
साथ ना होते हुए भी क्यों इतने खास हो
तुम्हारी हर आहट पर क्यों आज भी यह दिल धड़कता है
तुम्हारी हर मुस्कुराहट पर क्यों आज भी मुस्कुरा जाता है
तुम्हारे होने का एहसास क्यों आज भी है
तन्हाइयों की गहराइयों में यह आस क्यों आज भी है
दिल जानता है पर क्यों मानता नहीं
भुलाना चाहता है तुम्हें पर भुला पाता नहीं
एक टूटी हुई सी उम्मीद दिल को आज भी है
एक अधूरी सी ख्वाहिश दिल में आज भी है

© Megha

#khwahish