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तुम हो✍️✍️✍️
तुम हो✍️✍️✍️

बरसती बूँद धरती की प्यास बुझाती है लगता है तुम हो
जब माँ बच्चे की कंधे पर उठाती है तो लगता है तुम हो
जब इंसान का रूप धर मदद करते हो तो लगता है तुम हो
मंदिर में पाँव रखते ही सुकून मिलता है तो लगता है तुम हो
नदी में बहते पत्ते पर बैठी चींटी देखकर लगता है तुम हो
सूनसान सड़क पर मददगार मिलता है तो लगता है तुम हो
निःस्वार्थ सेवा के बाद सुकून मिलता है तो लगता है तुम हो
बुरे वक़्त में भी उम्मीद दिखा जाते हो तो लगता है तुम हो
पिता बनकर जब कन्यादान करते हो तो लगता है तुम हो
हारकर भी जीत की उम्मीद जगती है तो लगता है तुम हो
तीव्र दर्द में चेहरे पर मुस्कान सजती है तो लगता है तुम हो
गंगा मैया की प्रबल धार देखता हूँ तो लगता है तुम हो
बाहों में अपना बचपन खेलता देखता हूँ तो लगता है तुम हो
सबके कर्मों का हिसाब देखता हूँ तो लगता है तुम हो
अविश्वास में विश्वास जगता है तो लगता है तुम हो
मेरे सुख दुःख की रखते हो खबर तो लगता है तुम हो

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻