...

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तुम हो
जुदा होकर भी क्यूं तुम जुदा नहीं हो,
मेरी सोच के हर दायरे में भी तुम..
सुबह में तुम हो, शाम में तुम..
नींद में तुम हो, ख़्वाब में तुम..
आरज़ू में तुम हो, जुस्तजू में तुम.....