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राम का सहारा ✍️✍️✍️
राम का सहारा

लिखने को बहुत कुछ है पर कुछ लिख नहीं पाता हूँ
दिखने को बहुत कुछ है पर कुछ दिख नहीं पाता हूँ
ये कुछ सब कुछ पर अक्सर भारी सा पड़ जाता है
दो जून की रोटी की बेबस उधारी सा चढ़ जाता है
ख्वाहिशें कुछ दर्ज की आसमान को छूने की खातिर
गिरने का ख्याल भी किया तो धरती मुकर...