आगज ए इश्क़
आंखों को तुम मेरे न कहो कि देखे तुम्हे
नजरों में हो तुम तो नजारों को क्या देखूं
सागर सी गहरी तुम ,
तो झील को किनारों से क्या देखूँ
आकाश सी ऊंची हो तुम
तो छोटी सी मीनारों को क्या देखूँ
तेरे घर...
नजरों में हो तुम तो नजारों को क्या देखूं
सागर सी गहरी तुम ,
तो झील को किनारों से क्या देखूँ
आकाश सी ऊंची हो तुम
तो छोटी सी मीनारों को क्या देखूँ
तेरे घर...