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प्रेम ❤️
प्रेम सागर है और मैं सागर का एक छोर,
उस तरफ़ वो खड़ा,मैं खड़ा इस ओर।
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खारा है पर प्यारा है, ना चाह कोई ओर,
प्यास बुझे मन की,मन कर रहा हिलोर।।
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प्रेम राह है प्रेम चाह है प्रेम रूप अंतरंग,
भा जाए मन जिसको कर लेता उसको संग।
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बंध सके ना छूट सके प्रेम है ऐसी डोर,
बना हथियार प्रेम को वो बने हैं चितचोर।

© "नीर"
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