4 views
दिलरुबा , दिल की लगी बन गयी
फूस की आग की तरह जवानी
सबकी गुजर जाती है
डींगे प्रेम की हांकने वाले
कितने सब्जबाग दिखाते है
पर वक्त के साथ उनके वादे और इरादे
महज संवाद रह जाते है
इंसान एक ही जींदगी मे
कितने रंग जीवन के देखता है
जिस व्यक्ति के अभिमान मे जिता है, वही
उसे रीता करके शर्मिंदा भी नही होती
बेवकूफ मेरी नजर मे है वो
पर समाज मे वो एक सफल इंसान है, और
मै उसके बातो, वादो और यादों को
सहेजे जीता हूँ
बरबाद हूँ मै
पर गिला नही
रस्ते खुद ही चुना है मैने
प्रेम की बारीकियाँ हर कोई नही समझता
जमाना है यही
लोग कलेजे मे हूक नही पालते
जबतक साथ है प्रेम कहते है और करते है
ओझल हुए नही की फूंक मे उडा देते है
जींदगी मे कामयाब होने के इन दिनों फार्मूला है
आंखो से जो दिखे वही मानो
एहसास और जज्बात नही दिखते
फिर लोग उसे क्यू मानकर ढोए ।।
वफा मे उसकी मिलावट दिख गयी
दिलरुबा बनने आइ थी
दिल की लगी बनके रह गयी।
सबकी गुजर जाती है
डींगे प्रेम की हांकने वाले
कितने सब्जबाग दिखाते है
पर वक्त के साथ उनके वादे और इरादे
महज संवाद रह जाते है
इंसान एक ही जींदगी मे
कितने रंग जीवन के देखता है
जिस व्यक्ति के अभिमान मे जिता है, वही
उसे रीता करके शर्मिंदा भी नही होती
बेवकूफ मेरी नजर मे है वो
पर समाज मे वो एक सफल इंसान है, और
मै उसके बातो, वादो और यादों को
सहेजे जीता हूँ
बरबाद हूँ मै
पर गिला नही
रस्ते खुद ही चुना है मैने
प्रेम की बारीकियाँ हर कोई नही समझता
जमाना है यही
लोग कलेजे मे हूक नही पालते
जबतक साथ है प्रेम कहते है और करते है
ओझल हुए नही की फूंक मे उडा देते है
जींदगी मे कामयाब होने के इन दिनों फार्मूला है
आंखो से जो दिखे वही मानो
एहसास और जज्बात नही दिखते
फिर लोग उसे क्यू मानकर ढोए ।।
वफा मे उसकी मिलावट दिख गयी
दिलरुबा बनने आइ थी
दिल की लगी बनके रह गयी।
Related Stories
4 Likes
0
Comments
4 Likes
0
Comments