होगा
मैं आतिश हूं मुझे जलना होगा,
खाक तक का सफर चलना होगा।
मसलेहत में सिर्फ मैं ही क्यों मरु,
मोहब्बत तुझे भी अब मरना होगा।
शब-ए-आरज़ू का वस्ल हुआ जो,
दिन-ए-तलब मे गुज़रना होगा।
मसले गिनाते फिरते है सब,
कौन बताए करना क्या होगा।
सब मोजज़े...
खाक तक का सफर चलना होगा।
मसलेहत में सिर्फ मैं ही क्यों मरु,
मोहब्बत तुझे भी अब मरना होगा।
शब-ए-आरज़ू का वस्ल हुआ जो,
दिन-ए-तलब मे गुज़रना होगा।
मसले गिनाते फिरते है सब,
कौन बताए करना क्या होगा।
सब मोजज़े...