hewaniyat
अंधेरी सी रात थी
सड़क के किनारे में खड़ी थी
Office से लौट रही थी
बरसात आ रही थी
बदन पे मेरे सारी थी
थंडी हवा बह रही थी
कपड़े मेरे उड़ रहे थे
दर के मारे में कांप रही थी
दो हेवान मेरी तरफ आ रहे थे
और.........
और क्या उस रात हेवानियत की सारी हदें पार हो रही थी।
By Bidya The Ray
सड़क के किनारे में खड़ी थी
Office से लौट रही थी
बरसात आ रही थी
बदन पे मेरे सारी थी
थंडी हवा बह रही थी
कपड़े मेरे उड़ रहे थे
दर के मारे में कांप रही थी
दो हेवान मेरी तरफ आ रहे थे
और.........
और क्या उस रात हेवानियत की सारी हदें पार हो रही थी।
By Bidya The Ray