...

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सपने और हकीकत
सपने और हकीकत में एक रोज मुलाकात हुई,
कौन कितना खास है ये बहस छिड़ने लगी.....!
सपने ने कहा मैं इंसान को ख्वाबों में ले जाती हूं ,
हकीकत कह बैठी मैं रूबरू जिंदगी से करवाती हूं.....!
सपने हौसलों का काम किया करती है,
हकीकत उन हौसलों को उड़ान तक ले जाती है.....!
सपने ने कहा मैं इंसान को दौड़ना सिखाती हूं,
कह बैठी हकीकत मैं दौड़ना किस राह में है ये बताती हूं.....!
सपने ने कहा तुम कड़वी और मैं मीठी घूट के जैसी हूं,
हकीकत ने कहा मैं खट्टे के बाद मीठे फल जैसी हूं.....!
जंग जारी ही थी अभी जोरों से दोनों के बीच,
आई फिर जिंदगी कहा दोनों जरूरी हो मेरे लिए......!
जैसे बिन रात के सुबह नहीं होती ,तारों बिन चंद्रमा अधूरा होता है ,
वैसे ही सपने और हकीकत के बिन जिंदगी अधूरी रहती है....!