...

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कितनी अजीब दास्तां

कितनी अजीब दास्तां मै जहर पी गयी
ज़िंदा हूँ यारों आज तक पर मेरा दर्द मर गया

शीशे के घर मै हूँ कोई पत्थर ना मार दे
नफ़रत से कह रही हूँ की थोड़ा सा प्यार दे

गैरो से खौफ नहीं हैं अपनों से ही डर गयी
कितनी अजीब...