...

14 views

ज़िन्दगी के मराह़िल
ग़म का सामान है और कड़ी धूप भी
राह वीरान है और कड़ी धूप भी
इक मुस़ाफ़िर हूँ मैं राह भटका हुआ
रस्ता अनजान है और कड़ी धूप भी

कोई साया नहीं है कहीं दूर तक
दिल परेशान है और कड़ी धूप भी

दश्त ही दश्त है देखता हूँ जिधर
जिस्म बे-जान है और कड़ी धूप भी

कोई बारिश की सूरत नज़र आए अब
ह़ल्क़ में जान है और कड़ी धूप भी

बीच दरिया में कश्ती है, पर सामने
कोई तूफ़ान है और कड़ी धूप भी

तेज़ रफ़्तार है उ़म्र की भी "ह़यात"
हाय ! ढलवान है ,और कड़ी धूप भी