...

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खेल
उसकी अपनी उलझने कम थी
जो मेरी खबर पूछे
कशमकश में वो कुछ कह न पाए
और हम बिन बोले सब समझ जाए
ये एहसासों का खेल भी निराला है
बिन बोले,बिन देखे जब बातें हो
तो मिलने बिछड़ने का खेल क्यों खेला जाए
क्यों उस दर्द को आने का न्योता दें
जिससे निकलने में जमाने गुजर जाएं।।


© soulstorybyswati