...

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ग़ज़ल ~ काश के तुम मिरे होते
काश के तुम मिरे होते
काश के हम तिरे होते

जो इनायत अगर होती
नग्मे ना ग़म भरे होते

नींद आती अगर हर शब
ख़्वाब आँखों भरे होते

काश हम तुम खरे होते
दूर तक हम चले होते

गर...