...

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कर्ण हूँ।
कहलो जो कुछ भी, में उत्तम नहीं श्रेष्ठ हूँ,
में अपुर्ण नहीं पुर्ण हूँ,
अविस्मर में हूँ पर स्मरण हूँ,
दरिद्र हूँ पर स्वाभिमानी हूँ।
मूझे खेद है कि,
में नायक नहीं सायेद खलनायक हूँ,
में धर्म जानके भी अधर्मी हूँ,
बचन हेतु मित्र द्रुयधन का दास हूँ,
आपोनोकि रक्त को हाथों में रांगा महाभारत का कारण हूँ,
पर मुझे गर्व है कि
एक खेत्रीय हो के भी सुत पुत्र हूँ।
मेरी प्रतिज्ञा किसन आप को नहीं
पितामह भिष्म की जैसे है,
सूर्य के पुत्र हूँ,
मैं जेष्ठ कुन्तीय नहीं, राधेय कर्ण हूँ।
© drath1122