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मरहम
जख्म देके मरहम को मत लगा
ये मालिक बस और न कहर बरसा
दम तोड़ती जान हाथों मैं
क्या मां बाप को इतना बेबस मत बना
रोटी की हालत सह लेता मैं
नींद को भी समझा देता मैं
हालत तो इस कदर की खुदा
सासें को तौल दिया तराजू मैं
आलम कुछ इस तरह है
भगवान से क्या मांगू ये क्या तुमने सोचा है
पहले रोटी और मकान की आस थी
अब सोचू बस ये जान से जान की आस है
खुद को कब तक खीचू लकीरों पे
जहा तेरी इबादत नही
वहा कोन सी राहत की बात नहीं
© rsoy
ये मालिक बस और न कहर बरसा
दम तोड़ती जान हाथों मैं
क्या मां बाप को इतना बेबस मत बना
रोटी की हालत सह लेता मैं
नींद को भी समझा देता मैं
हालत तो इस कदर की खुदा
सासें को तौल दिया तराजू मैं
आलम कुछ इस तरह है
भगवान से क्या मांगू ये क्या तुमने सोचा है
पहले रोटी और मकान की आस थी
अब सोचू बस ये जान से जान की आस है
खुद को कब तक खीचू लकीरों पे
जहा तेरी इबादत नही
वहा कोन सी राहत की बात नहीं
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