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कभी सोचा न था ये पल इतने जल्द आएंगे
आज वक्त को रोकने का जी चाह रहा है
न जाने ये दिल क्यों सबसे बिछड़ने से खबरा रहा है
शुरू हुआ था ये सफर जब
कभी सोचा न था ये वक्त इतने जल्द खत्म होगा
कभी सोचा न था उन खटे मीठे पलो को याद कर ये दिल यूं नम होगा

बच्चे बन कर ही तो आए थे हम सब
एक दूसरे से कितने पराए थे हम सब
कभी सोचा न था हम इन अनजान लोगों के बीच
हम अपनी जान पहचान भी बनाएंगे
कुछ पुराने यार साथ छोड़ देंगे
तो कुछ नए यार जान बन जाएंगे


जिस सफर की शुरुआत हमने 3 साल पहले करी थी
सेमिनार इंट्रो से जो स्टार्ट हुईं थी
तब कॉलेज के शुरुआती दिनों में सोचते थे
यहां से जल्द ही निकल जाएंगे
अब जब वो दिन आ ही गए तो कहा सोचा था
जाने से पहले हमारे पैर यूं लडखड़ाएंगे

first सेमिस्टर ने तो हमे हमारी औकात दिखाई थी
तभी हम एक दूसरे के कंधे पर हाथ रख कर बोले
ये कॉलेज वॉलेज अपने बस का नही है भाई
जैसे तैसे जब हमने निकाला था अपना आधा साल
कमसे बोहोत खुश हुए थे जब पता चला Corona की वजह से निकालने होगे घर पर ही बचे 2 साल

लेकिन जब 6th सेम को हम कॉलेज गए...
कसम से यार स्टार्टिंग के 4 5 दिन बोहोत बोरिंग गए...
पर जब हम 6th सेम के आखिर मोड़ पर आए......