मरना कहा आसान हेे
सुना था यह दुनिया जीने नही देती,
पर कुछ लोग सुकून से मर भी कहा पाते है।
शाम को जब थक हार कर घर जाते हैं,
तो ख़ुद को जिमेदारियो से घिरा हुआ पाते है।
हमे कोई शौंक नही जनाब अपनी हड्डियां घिसने का,
पर बंदोबस्त तो करना पड़ता हैं आटा पीसने का।
महलों में बैठ कर शिकायते करते हो ,
अरे तुम बताओ क्या हमारी तरह दो...
पर कुछ लोग सुकून से मर भी कहा पाते है।
शाम को जब थक हार कर घर जाते हैं,
तो ख़ुद को जिमेदारियो से घिरा हुआ पाते है।
हमे कोई शौंक नही जनाब अपनी हड्डियां घिसने का,
पर बंदोबस्त तो करना पड़ता हैं आटा पीसने का।
महलों में बैठ कर शिकायते करते हो ,
अरे तुम बताओ क्या हमारी तरह दो...