कुछ भी तो नहीं ...
क्या हुआ
रास्ता भटक गये
या बीच रास्ते में लावारिस छोड़ दिये गये
क्या हुआ
हमसफ़र से काफ़िर बन गये
क्या मतलब
अब कोई पहचानता नहीं है
क्या हुआ सब अनजान बन गये
क्या हुआ
तुम तो यही चाहतें थे न
कोई जाने न
कोई पहचानें न
कोई रोकें न
कोई टोकें न
कोई मुझे हमसफ़र कहें न
तो फिर ये हिसाब किस बात का
तो फिर आंसुओं का सैलाब किस बात का
क्या हुआ
मैंने देखा है
ओस जैसे ही
तुम्हारे हाथों में ठहरने लगती है
तुम एक...
रास्ता भटक गये
या बीच रास्ते में लावारिस छोड़ दिये गये
क्या हुआ
हमसफ़र से काफ़िर बन गये
क्या मतलब
अब कोई पहचानता नहीं है
क्या हुआ सब अनजान बन गये
क्या हुआ
तुम तो यही चाहतें थे न
कोई जाने न
कोई पहचानें न
कोई रोकें न
कोई टोकें न
कोई मुझे हमसफ़र कहें न
तो फिर ये हिसाब किस बात का
तो फिर आंसुओं का सैलाब किस बात का
क्या हुआ
मैंने देखा है
ओस जैसे ही
तुम्हारे हाथों में ठहरने लगती है
तुम एक...