...

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लिखता कौन है?
लिखता कौन है?
वही जो कहना चाहता है,
पर कह नहीं पाता है,
भीड़ में खड़े होकर भी
खुद को अकेला है पाता।
ख्वाहिशों को महफूज़ रखती हैं
जिसकी आँखें,
शायद ही कोई जिन्हें पढ़ पाता है।
जिसके हर हर्फ़ की एक कहानी है,
जिसकी बोली में हिचक और आँखों में पानी है।
जो खुले आसमान का है बाशिंदा,
ढलती शामों का है जो परिंदा।
बेखौफ है कलम जिसकी
पन्नों पर घिसता है,
ख्यालों से रोज़ लड़ता है,
ख्वाबों से थोड़ा डरता है,
हर फूल,हर शाखा,
हर पत्थर,
बारिश की बूँदों का वो राग
सुनता है,
पंछी संग चहचहाता,
तारों से बाते जो करता है,
अपने हर्फों के ज़रिए
कहता है अपनी आपबीती,
वही जो लिखता है,
वही जो लिखता है।



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