...

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"वो बचपन की बात थी"
याद है मुझे बचपन की वो हर बात, जब वो गलियों में खेला करते थे,
नासमझ से दिल से पूरे गाँव में डोला करते थे,
हर गली-गली सिर्फ हमारे ही शाम के चर्चे हुआ करते थे,
बड़े हो गये अब!!!!!!बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब बड़े- बड़े सपनो की बातें किया करते थे,
कभी चाँद पर तो, कभी बड़े होकर तारे तोड़ लाने की बातें किया करते थे,
बैठ के किसी गलियारे में वही दोपहर बिताया करते थे,
बड़े हो गये अब!!!!!!! बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब पापा के कांधे पे बैठकें सारे खेल देखा करते थे,
कभी मम्मी की रोटी की तुलना चाँद से,
तो कभी दादी की कहानिया सुनके समय बिताया करते थे,
बड़े हो गये अब!!!!!बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब हम बहुत अमीर हुआ करते थे,
क्योंकि बारिश के पानी में हमारे जहाज तेरा करते थे,
दिमाग से नही जब हम दिल के बहुत अमीर हुआ करते थे,
बड़े हो गये अब!!!!! बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब हम अनेक खेल खेला करते थे,
छुपम छुपी मे हम बड़े अंजान बना करते थे,
कभी यहाँ कभी वहाँ उनको ढूंडा करते थे,बड़ी नादानी करते थे,
बड़े हो गये!!!!! बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब छोटी छोटी बातों पर बेवजह झगडा करते थे,
और दो अंगुलियों के जुड़ने से फिर एक हो जाया करते थे,
दूसरी टीम के बच्चो को गली में आने से रोका करते थे,.
बड़े हो गये अब!!!!! बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब जाति से मतलब ना रखते थे,
बस मिल जाए कोई यार अपना जो शाम गुजारा करदे,
बड़े हो गये अब!!!!! बड़े हो गये अब,
वो बचपन की बात थी, जब हम नादान हुआ करते थे,
तब हमारी हर गलती माफ हुआ करती थी...
और अब अधूरे सपने, और दुर अपने है,
मेरा वो बचपन ही अच्छा था, जब इंसान पैसों से नही, दिल के अमीर हुआ करते थे...!!

#बचपन _ही अच्छा था🥺👀🥺
#unbelievable_poetess♛┈•༶
#writco
© Deepika Agrawal_creative