...

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इज़्तिराबी
मेरी काव्य की तारीफ करते हो तुम मुस्कुराते हुए,
फ़िर भी हाल-ए-दिल तुम क्यों सुनाते नही ।
क्या चैन मिलता है तुम्हें हमको तड़पाते हुए ?
मोहब्बत ना होती तुझसे तो यूहीं जवानी बिताते नही।
वो इश्क़ का जर्रा छेड़ कर कर दिया खुद से दूर,
पनप कर मुझमें ही खोखला कर दिया मुझे,
अंधेरे में छोड़ पूछा भी नही और कभी कहते थे मुझे अपना नूर,
क्या वफा कभी रहने देगी अपने साथ तुझे ?
तेरे ख़याल में भिकर गया हूँ इतना की...