...

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Limitations of a girl life
क्यों एक लड़की की जिंदगी चारदिवारी में है कटती
वो चारदिवारी तो बदलती जब छोड़ बाबुल का घर पिया के घर जाती पर चारदिवारी नहीं हटती
जब होवे कोई उत्सव तो आवे चारदीवारी से निकलकर,
पर एक नए बंधन में बंधकर जो है नारी का समाज के प्रति दर्पण (पर्दा- प्रथा)
पहचान जब किसी से करवाते तो उसकी नहीं पति की पहचान है बताते
पहचान ही नहीं वजूद भी है खत्म कर देते
ऑफिस जाते वक्त शर्ट को इस्त्री करना हो या टिफिन कर पैक हाथ में देना हो तब -2 है याद कर लेते

मत भूलो स्त्री जननी है पर जो करोगे उसके संग असहनीय
तो वहीं स्त्री मा काली महिषासुर प्राण हरनी है

one should always respect women as women are origin and base of everybody's life
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