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पूनम का चांद
मैं उसे छूना नहीं चाहती
मैं उसे जी भर कर देखना चाहती हूं
जैसे देखती हूं
पूनम के चांद को
कितना सुकून है
उसके चेहरे पर
बिलकुल चांदी रात के जैसी
दाग है कहीं कहीं उसके माथे पर
पर फिर भी
बेदाग लगता है
उसका चेहरा नहीं
अस्तित्व
मुझे आकर्षित करता है
मुझे अधिकार नहीं चाहिए उस पर
मैं उसे अपना बनाना नहीं चाहती
मैं जानती हूं
मेरा हुआ तो खुद को
खो देगा
फिर उसे पा कर क्या करूंगी
उसकी चमक कहां से लाऊं
मैं चाहती हूं
वो अपने आसमान में
चमकता रहे
पूनम के चांद जैसे
©प्रिया सिंह
© life🧬
मैं उसे जी भर कर देखना चाहती हूं
जैसे देखती हूं
पूनम के चांद को
कितना सुकून है
उसके चेहरे पर
बिलकुल चांदी रात के जैसी
दाग है कहीं कहीं उसके माथे पर
पर फिर भी
बेदाग लगता है
उसका चेहरा नहीं
अस्तित्व
मुझे आकर्षित करता है
मुझे अधिकार नहीं चाहिए उस पर
मैं उसे अपना बनाना नहीं चाहती
मैं जानती हूं
मेरा हुआ तो खुद को
खो देगा
फिर उसे पा कर क्या करूंगी
उसकी चमक कहां से लाऊं
मैं चाहती हूं
वो अपने आसमान में
चमकता रहे
पूनम के चांद जैसे
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