...

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तड़प खाकी की
इतनी नफ़रत है तुम्हें खाकी से,तो क्यों आते हो खाकी के पास
क्यों नही दूर रह खाकी से,करते क्यों नही तुम अपना काम

बेटी पैदा कि तुमने,बेटी पढ़ाया तुमने,बेटी भागी किसी गैर के साथ
दोषी कहाँ है खाकी इसमें, क्यों देते हो तुम खाकी को इल्जाम

पाल पोश जिसे बड़ा किया,उसके बारें में तुमसे ज्यादा कौन है जानकार
क्यों तोहमत देते हो तुम खाकी को,ढूँढ कर ना लाई अभी तक सरकार

तेरी हिफाज़त में खाकी,खुद अपनी हिफाज़त करना भूल ग ई
उसके कार्य तुम्हें दिखते नहीं,क्यों कि है नही सदस्य कोई तेरे घर का

तीज त्यौहार हो या कोई पर्व, खाकी रहती हरदम तुम्हारे संग
फ़िर भी इल्जाम खाकी पे, लगाते क्यों तुम मेरे यार

निशब्द हो खड़ी जो चौराहे पे,किये तुम्हारे सुरक्षा का संकल्प
वही दोषी है नज़रों में तुम्हारे, बाकी सब हैं तुम्हारे ख़ास