ग़ज़ल
मैं तेरे प्यार के काबिल हो ना सका
तेरी जिंदगी में शामिल हो ना सका
बीच मझधार में ही डूब गई हो जो
उस कश्ती का साहिल हो ना सका
एक दाँव पर लगा दिया सब-कुछ
मगर कुछ भी हासिल हो ना सका
जब से कि तेरा हुआ है मेरे सनम!
और किसीका ये दिल हो ना सका
क़त्ल कर दिया सरेआम फिर भी
'नीर' वो तेरा क़ातिल हो ना सका।
© @nirmohi_neer
तेरी जिंदगी में शामिल हो ना सका
बीच मझधार में ही डूब गई हो जो
उस कश्ती का साहिल हो ना सका
एक दाँव पर लगा दिया सब-कुछ
मगर कुछ भी हासिल हो ना सका
जब से कि तेरा हुआ है मेरे सनम!
और किसीका ये दिल हो ना सका
क़त्ल कर दिया सरेआम फिर भी
'नीर' वो तेरा क़ातिल हो ना सका।
© @nirmohi_neer
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