गजल बनके आ गये
जिन्दगी के कुछ हसीन पल बनके आ गये,
तुम मेरे होंठो पर गजल बनके आ गये।।
मैं तो खंडहर हो गया था जमाने के लिए,
तुम मेरी बाहों में ताजमहल बनके आ गये।।
कट रहा था सफर मेरा धूप में चलते-चलते,
तुम मेरी राहों में भीगे बादल बनके आ गये।।
भूल चुका था मैं शायद इश्क़...
तुम मेरे होंठो पर गजल बनके आ गये।।
मैं तो खंडहर हो गया था जमाने के लिए,
तुम मेरी बाहों में ताजमहल बनके आ गये।।
कट रहा था सफर मेरा धूप में चलते-चलते,
तुम मेरी राहों में भीगे बादल बनके आ गये।।
भूल चुका था मैं शायद इश्क़...