...

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तू ऐसे क्यों चला गया??

तेरी मुस्कुराहट के पीछे दर्द था मैं ना जान पाई,
तुझे भी कोई गम सता सकता था मैं ना मान पाई।
तू तो पूरी ज़िन्दगी मेरे साथ जीना चाहता था यार,
फिर क्यों तेरे जाने की वजह मैं ना पहचान पाई?

मुझे बहुत कुछ कहना था तुझको पर में ना कह पाई,
किसी ने कहा तू अब नहीं है, देख तू मैं ना सह पाई।
तू तो मुझे दिल की हर बात कह देता था बेझिझक,
एक बार आवाज़ तो देता तो जान लेता,मैं ना रह पाई।

तू ऐसे भी छोड़ कर जा सकता है मैं ना सोच पाई,
पैग़ाम उस दिन भी लिखे थे तुझे पर मैं ना भेज पाई।
तू कहता नहीं तो भी दिल की हर बात लिख देता था,
बहुत ढूंढा मैंने पर तेरा आखरी खत मैं ना खोज पाई।

प्यार तो किया तूने पर ऐतबार किसी पर ना किया,
ऐसे जाकर तूने सबको जिंदगी भर का गम दिया।

सच तुझे एक बार बात करनी थी किसी से.....
by Santoshi