...

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स्वीकार... रिश्तों का सफ़र

अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?

कभी छुपा दिया, कभी खुला इजहार,
उस अनजाने अदा से, रिश्तों का प्यार।

हर मुश्किल में, वही हाथ बढ़ा होगा,
अपनी ज़िम्मेदारी का इजहार किया होगा।

ना जाने क्यूं, दिल की बातें उसने,
अज्ञाता से भी, रिश्तों को निभाया होगा।

अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा।

चुपचाप नहीं, वही बड़बड़ाया होगा,
प्यार की भावना को, खुलकर बताया होगा।

ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते,
जब दिलों की भावनाओं को, खुलकर बयां किया होगा...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"