स्मर्तियाँ
स्मृतियों के आँगन में
नैनों के जल पावन में
कितना तिरते रहते हो
क्या तुम भी घिरते रहते हो
नैनों के जल पावन में
कितना तिरते रहते हो
क्या तुम भी घिरते रहते हो
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