गुमां
नाजाने ये ख़्वाब है या हकीकत, नहीं मालूम ये क्या हो रहा है
दर्द दबा था जो सीने में मेरे, कैसे उनके लबों से बयां हो रहा है।
शायद असर है मुहब्बत का ये, या फिर से मुझको गुमां हो रहा है
कमाल मंजर देखता हूँ...
दर्द दबा था जो सीने में मेरे, कैसे उनके लबों से बयां हो रहा है।
शायद असर है मुहब्बत का ये, या फिर से मुझको गुमां हो रहा है
कमाल मंजर देखता हूँ...