यादों के गुल...
दिल के गुलदान में तुम्हारी यादों के गुल हम रोज़ सजाते हैं,
खंडहर हुई यादें फिर भी यादों के दीए हम रोज़ जलाते हैं।
दिल के दहर में रक़्स करती हैं तेरी यादें दिन- रात,
पलकों पर उन खुशगवार यादों से दिल का गुलशन महकाते हैं।
एक मुद्दत हुई फिर भी हमारे बीच फासले हैं क़ायम,
तेरे तसव्वुर की धूप में आज भी अपना भीगा...
खंडहर हुई यादें फिर भी यादों के दीए हम रोज़ जलाते हैं।
दिल के दहर में रक़्स करती हैं तेरी यादें दिन- रात,
पलकों पर उन खुशगवार यादों से दिल का गुलशन महकाते हैं।
एक मुद्दत हुई फिर भी हमारे बीच फासले हैं क़ायम,
तेरे तसव्वुर की धूप में आज भी अपना भीगा...