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दिल से
अपना या पराया
या मेरा तुम्हारा
कब तक चलेगा
एक दिन इस सूत्र को भी
जाना होगा
नफरत, घृणा को बदलकर
फिर से प्यार जीवन में
लाना होगा
अब भले ही यह मसला
दिल से जुड़ा हो या दिमाग से
जाति, जमीन या फिर ज़मीर से
या फिर धर्म से या मजहब से।
- डॉ. जगदीश राव
या मेरा तुम्हारा
कब तक चलेगा
एक दिन इस सूत्र को भी
जाना होगा
नफरत, घृणा को बदलकर
फिर से प्यार जीवन में
लाना होगा
अब भले ही यह मसला
दिल से जुड़ा हो या दिमाग से
जाति, जमीन या फिर ज़मीर से
या फिर धर्म से या मजहब से।
- डॉ. जगदीश राव
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