...

2 views

दिल से
अपना या पराया
या मेरा तुम्हारा
कब तक चलेगा
एक दिन इस सूत्र को भी
जाना होगा
नफरत, घृणा को बदलकर
फिर से प्यार जीवन में
लाना होगा
अब भले ही यह मसला
दिल से जुड़ा हो या दिमाग से
जाति, जमीन या फिर ज़मीर से
या फिर धर्म से या मजहब से।

- डॉ. जगदीश राव