...

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कविता के बहाने..
कई बार लिखी गई रचना,केवल शब्दों का एक पुंज नहीं होती
होती है वह.. शब्दों का जामा पहनें,किसी के मस्तिष्क और हृदय का भाव
शब्दों में पिरोये कलम के उन मोती का अर्थ...हर बार सुंदरता नहीं होता
होते हैं वह... किसी के हृदय से बहे जज्बातों का शाब्दिक रूप

हर बार लिखी कोई कविता... शब्दों से पिरोयी माला सी नहीं होती
अक्सर होती है वो.....
जिंदगी के फलसफे का लिखित रूप..
टूटे ख्वाबों की कथा...
नयन से बहे अश्रुओं की कहानी...
बेशक...हर बार,हर लेखन.... सिर्फ रचना नहीं होती...
कभी नहीं...!!!


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