जज़्बा हो तो
सागर के पानी को भी सुखाया जा सकता है,
सितारों को गगन से गिराया जा सकता है,
दिल में भरा अगर जज़्बा हो तो,
पानी में भी आग को जलाया जा सकता है।
टूटे रिश्तो को एक बार फिर निभाया जा सकता है,
राख में चिंगारी को सुलगाया जा सकता है,
शिद्दत से भरा अगर जज़्बा हो तो,
सूरज से भी पानी बरसाया जा सकता है।
समय के चक्र को रुकवाया जा सकता है,
जमीं को आसमां से मिलाया जा सकता है,
मन में भरा अगर जज्बा हो तो,
पत्थर से भी हीरा बनाया जा सकता है।
© Utkarsh Ahuja
सितारों को गगन से गिराया जा सकता है,
दिल में भरा अगर जज़्बा हो तो,
पानी में भी आग को जलाया जा सकता है।
टूटे रिश्तो को एक बार फिर निभाया जा सकता है,
राख में चिंगारी को सुलगाया जा सकता है,
शिद्दत से भरा अगर जज़्बा हो तो,
सूरज से भी पानी बरसाया जा सकता है।
समय के चक्र को रुकवाया जा सकता है,
जमीं को आसमां से मिलाया जा सकता है,
मन में भरा अगर जज्बा हो तो,
पत्थर से भी हीरा बनाया जा सकता है।
© Utkarsh Ahuja