झूम उठती है ये धरती
मैं नहीं बनाऊंगा तुम्हारे लिए ताजमहल,
मैं लाऊंगा तुम्हारे लिए झुमके,
दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं जो तुम्हारी बालियों में न समाती हो।
मैं नहीं लाऊंगा तुम्हारे लिए चांद,
मैं लाऊंगा पायल
और पहनाऊंगा अपने हाथो से,
क्युकी जब तुम पायल पहन धरा पर चलती हो,
तो झूम उठती है ये धरती,तुम्हारे पायल की खनखन से और झूम उठता हूं मैं।।
#Love&love #hindipoem
© Bunty Dholpuria
मैं लाऊंगा तुम्हारे लिए झुमके,
दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं जो तुम्हारी बालियों में न समाती हो।
मैं नहीं लाऊंगा तुम्हारे लिए चांद,
मैं लाऊंगा पायल
और पहनाऊंगा अपने हाथो से,
क्युकी जब तुम पायल पहन धरा पर चलती हो,
तो झूम उठती है ये धरती,तुम्हारे पायल की खनखन से और झूम उठता हूं मैं।।
#Love&love #hindipoem
© Bunty Dholpuria