दोस्ती
दोस्त ना हो तो
जिंदगी कैसा होता ?
बचपन की मस्ती को देख
बचपन की खुशी को देख
लगता है दोस्त ना होते तो
जिंदगी मुरझाए फूल जैसा होता
लड़कर झगड़कर बिताए वो दिन
फिर उसी की खुशी में हो जाते मगन
बुराई दिल तोड़ने का बस एक दिन का रहता था
सब मस्त रहते थे जब हर दोस्त साथ रहता था
फिर अगर दोस्त ही ना होते
तो हर कोई तन्हायों में आंसू छुपाकर रोता
सारे जख्म अपने
सीने में दबा कर जीवन को जीता
ऐसा भी नहीं है
के दोस्त के बिना जीवन नहीं होता
होता ... पर संघर्ष ज्यादा और खुशी के पल
कम हो जाता
कहा जाता है; जहां रिश्ते नाते...
जिंदगी कैसा होता ?
बचपन की मस्ती को देख
बचपन की खुशी को देख
लगता है दोस्त ना होते तो
जिंदगी मुरझाए फूल जैसा होता
लड़कर झगड़कर बिताए वो दिन
फिर उसी की खुशी में हो जाते मगन
बुराई दिल तोड़ने का बस एक दिन का रहता था
सब मस्त रहते थे जब हर दोस्त साथ रहता था
फिर अगर दोस्त ही ना होते
तो हर कोई तन्हायों में आंसू छुपाकर रोता
सारे जख्म अपने
सीने में दबा कर जीवन को जीता
ऐसा भी नहीं है
के दोस्त के बिना जीवन नहीं होता
होता ... पर संघर्ष ज्यादा और खुशी के पल
कम हो जाता
कहा जाता है; जहां रिश्ते नाते...