...

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दोस्ती
दोस्त ना हो तो
जिंदगी कैसा होता ?

बचपन की मस्ती को देख
बचपन की खुशी को देख
लगता है दोस्त ना होते तो
जिंदगी मुरझाए फूल जैसा होता

लड़कर झगड़कर बिताए वो दिन
फिर उसी की खुशी में हो जाते मगन
बुराई दिल तोड़ने का बस एक दिन का रहता था
सब मस्त रहते थे जब हर दोस्त साथ रहता था

फिर अगर दोस्त ही ना होते
तो हर कोई तन्हायों में आंसू छुपाकर रोता
सारे जख्म अपने
सीने में दबा कर जीवन को जीता
ऐसा भी नहीं है
के दोस्त के बिना जीवन नहीं होता
होता ... पर संघर्ष ज्यादा और खुशी के पल
कम हो जाता

कहा जाता है; जहां रिश्ते नाते पहुंच नहीं पाते
वहां दिल तक ये पहुंच जाता
उसका हमदर्द बन कर राह को आसान बना जाता है

अब भी मिलते है स्कूल के दोस्त
लगता बचपन आ गया
सारे जिम्मेदारी , सारे परेशानी
एक पल में गायब हो गया

समझ में तो ... आता है
एक समय हर कोई जिम्मेदारी में कैद हो जाता है
पर दिल हमेशा एक बार फिर
दोस्तो के साथ आजाद रहना चाहता है
और ये बात भी तो बस दोस्त को ही कह पाता है

कुछ सुकून मिला , कुछ दर्द में भी आई कमी
दिल खुश भी रहा ,जीना आसान भी रहा
मुसीबतों से लड़ने का हौसला भी मिला
अकेलेपन से निकलने का रास्ता भी मिला
जब भी किसी को एक दोस्त मिला

रिश्तों के बिना भी
एक रिश्ता दिल का जुड़ जाता है
एक अनजान को भी जान बना जाता है
शायद इसीलिए हर रिश्तों से
इस रिश्ते को खूबसूरत माना जाता है
जिसे "दोस्त" नाम से जाना जाता है

फिर अगर दोस्त ही ना होते
तो कभी कोई रिश्तों के बिना
रिश्ता ही न निभाता


© Amus Singku