...

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भीगी पलकें
मैं तुम्हें तुम मुझे अपनी ज़िन्दगी कहकर बुलाते है,
धड़कन कहेंगी धड़कन सुनेंगी वो जहान बनाते है।

किसी ने न चाहा होगा हम तो उतना चाहते है तुम्हें,
ख़ुशी ही ख़ुशी होगी आओ मिलके सपने सजाते है।

ये चाँद तारें तो तोड़कर ला नहीं सकता मैं तेरे लिए,
पर तेरी पलकें भीगी न होने दूँगा ये यकीं दिलाते है।

कभी तुम मेरी हिम्मत बन जाना कभी मैं तेरा सहारा,
जीवन भर न टूटे हमारा बंधन इसे दिल से निभाते है।

ख़्वाबों ख़्यालों में तुम, तुमसे ही हर ख़ुशी "पुखराज"
तुम्हारे बिन हम तो इस ज़िन्दगी को बेस्वाद बताते है।

© पुखराज