मुझे अपना दर्द बताना नहीं आता,
मुझे अपना दर्द बताना नहीं आता,
क्या हूँ मैं, यह समझना नहीं आता।
दिल के ये ताले, जज्बातों से जकड़े हैं,
भावनाओं की भाषा, कोई समझ नहीं पाता।
चाह है मेरी, कह दूं हर एक एहसास,
पर शब्दों का ये जाल, उलझा देता हर बार।
रहस्यों से भरी, मेरी दुनिया की किताब,
समझना इसे, किसी को आता नहीं साकार।
क्या हूँ मैं, इस सवाल से झूझती हूँ हर रोज,
किससे कहूँ अपना दर्द, ये सोचकर ही रुक...
क्या हूँ मैं, यह समझना नहीं आता।
दिल के ये ताले, जज्बातों से जकड़े हैं,
भावनाओं की भाषा, कोई समझ नहीं पाता।
चाह है मेरी, कह दूं हर एक एहसास,
पर शब्दों का ये जाल, उलझा देता हर बार।
रहस्यों से भरी, मेरी दुनिया की किताब,
समझना इसे, किसी को आता नहीं साकार।
क्या हूँ मैं, इस सवाल से झूझती हूँ हर रोज,
किससे कहूँ अपना दर्द, ये सोचकर ही रुक...