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भारत छोड़ो आंदोलन
9 अगस्त को शुरू हुआ ' भारत छोड़ो आंदोलन ' जिसका मकसद था भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाना।
राष्ट्रपिता ने स्पष्ट कहा था, करो या मरो की नीति से सफल है यह आंदोलन बनाना।।
पर शुरू होने से पहले ही अंग्रेज़ो ने करवा दी थी सबकी गितिफ्तरी।
940 लोग मारे गए, 1630घायल हुए, और गांधी जी को नजरबंद कर अंग्रेज़ो ने सोचा, ख़तम कर दी आंदोलन की लहर सारी।।
ऐसे में लोहिया, जय प्रकाश नारायण, और अरुणा आसफ अली जैसे नाम उभर के आए।
अपने नेतृत्व में इस आंदोलन को शुरू वो करवाए।।
इस आंदोलन के चलते लोग सड़कों पर उतर आए।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ उन्होंने नारे लगाए।
सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे फहराए।
विद्यार्थी और कामगार भी हड़ताल पर उतर आए।।
बंगाल के किसानों ने करों में बढ़ोतरी पर था संघर्ष छेड़ दिया।
और सरकारी कर्मचारियों ने भी था काम करना बंद कर दिया।।
1943 के अंत तक संगठित भारत से आंदोलन को मिली थी आंशिक सफलता।
ब्रिटिश सरकार ने भी था संकेत दिया कि भारतीयों के हाथ सौंप दी जाएगी सत्ता।।
इसीलिए गांधी जी ने था आंदोलन यह बन्द किया।
और ब्रिटिश सरकार ने भी एक लाख राजनैतिक बंधियो को था रिहा किया।।
यह आंदोलन सब से विशाल और तीव्र था साबित हुआ जिस से अंग्रेजों की नींव गई थी हिल।
फलस्वरूप आखिरकार अगस्त 1947 में भारत को आजादी गई थी मिल।।
© Vasudha Uttam
राष्ट्रपिता ने स्पष्ट कहा था, करो या मरो की नीति से सफल है यह आंदोलन बनाना।।
पर शुरू होने से पहले ही अंग्रेज़ो ने करवा दी थी सबकी गितिफ्तरी।
940 लोग मारे गए, 1630घायल हुए, और गांधी जी को नजरबंद कर अंग्रेज़ो ने सोचा, ख़तम कर दी आंदोलन की लहर सारी।।
ऐसे में लोहिया, जय प्रकाश नारायण, और अरुणा आसफ अली जैसे नाम उभर के आए।
अपने नेतृत्व में इस आंदोलन को शुरू वो करवाए।।
इस आंदोलन के चलते लोग सड़कों पर उतर आए।
ब्रिटिश शासन के खिलाफ उन्होंने नारे लगाए।
सरकारी इमारतों पर कांग्रेस के झंडे फहराए।
विद्यार्थी और कामगार भी हड़ताल पर उतर आए।।
बंगाल के किसानों ने करों में बढ़ोतरी पर था संघर्ष छेड़ दिया।
और सरकारी कर्मचारियों ने भी था काम करना बंद कर दिया।।
1943 के अंत तक संगठित भारत से आंदोलन को मिली थी आंशिक सफलता।
ब्रिटिश सरकार ने भी था संकेत दिया कि भारतीयों के हाथ सौंप दी जाएगी सत्ता।।
इसीलिए गांधी जी ने था आंदोलन यह बन्द किया।
और ब्रिटिश सरकार ने भी एक लाख राजनैतिक बंधियो को था रिहा किया।।
यह आंदोलन सब से विशाल और तीव्र था साबित हुआ जिस से अंग्रेजों की नींव गई थी हिल।
फलस्वरूप आखिरकार अगस्त 1947 में भारत को आजादी गई थी मिल।।
© Vasudha Uttam
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