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गज़ल- हुस्न, इश्क़
दिल की धड़कन में गुनगुनाते हो,
जब भी यादों में मेरी आते हो।
चांद बादल से हो निकलता ज्यों,
रुख से ज़ुल्फ़ों को यूं हटाते हो।
यूं लगे झील में कमल कोई,
अपनी पलकें जो तुम उठाते हो।
फूल जैसे हजार खिल हों उठे,
जब भी जुम्बिश लबों पे लाते हो।
जिंदगी बन गए हो तुम मेरे,
ख़्वाब दिल में हसीं सजाते हो।
© शैलशायरी
जब भी यादों में मेरी आते हो।
चांद बादल से हो निकलता ज्यों,
रुख से ज़ुल्फ़ों को यूं हटाते हो।
यूं लगे झील में कमल कोई,
अपनी पलकें जो तुम उठाते हो।
फूल जैसे हजार खिल हों उठे,
जब भी जुम्बिश लबों पे लाते हो।
जिंदगी बन गए हो तुम मेरे,
ख़्वाब दिल में हसीं सजाते हो।
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