...

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आज लिख दूं..
.. आज लिख दूं,,
एक दिन फुरसत का,,,
तो मेरी सांसों के दरमिया कुछ दूरी टिके,
ऐसी फुर्सत के जिंदगी पूरी दिखे
ऐसी फुर्सत, के कभी दिल दास्तान न अधूरी लिखे !!

मेरी फुर्सत रहे छुपी मेरे मन में ही,
हो सारी दुनिया की नजरों से परे।
मसरूफियत की पतझड़ आए या जाए,
मेरी फुर्सत के पत्ते उम्र भर हरे !

इसी फुर्सत के लम्हे में बुन लूं तुम्हें
सर्दी आए तो सबमें से चुन लूं तुम्हें !

और मेरे जीवन के पन्नो में कुछ ऐसे उतर आओ
मेरी फुर्सत भरी तनहाई में मसरूफ हो जाओ!!

श्वेता © Alfaaz_The Unleashed